अब क्या कहें उनकोवो पी कर बहक जाते हैंमय की खुमारी मेंबोतल में घुस जाते हैंख़ुदी से भरे हुए
जब बोतल से निकल नहीं पाते तोख़ुदाई सिखाते हैं
चिल्ला चिल्ला के सबको बोतल में बुलाते हैं
जो बोतल में आ जाये
तो उसे सबका यार बताते हैं
जो बोतल में न आये
तो उसे सबका दुश्मन बताते हैं
बोतल में घुसने वालो को फ़लक छोटा ही नजर आता हैं
जरा बाहर निकल के देखो फ़लक अपनी बाहें कहाँ तक फैलाता हैं
.......यारों इशारे करता हैं ख़ुदा सभी की खातिर.......
...... ह़क परस्त ही समझे हैं अब तक ....... शैतानो को कहाँ नजर आते हैं.... ...........