रविवार, 19 जुलाई 2009

कितनी गहरी तेरी आँखें..

कितनी गहरी तेरी आँखें.....
कितनी प्यारी तेरी बातें.....
....बस इनही में डूबा रहूँ मैं......
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...

कितना सुन्दर तेरा चेहरा......
कितना सुर्ख रंग तेरे गालों का.....
.....बस इनही को देखकर मदहोश होता रहूँ मैं ....
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...


कितने कोमल पंखुरियों से ये ओंठ हैं तेरे.....
कितनी चंचल तितलियों सी ये मुस्कान हैं तेरी...
......बस इनही को निहारता रहूँ मैं.....
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...

कितने काले लम्बे घने बाल ये तेरे.....
कितनी मोहक हिरनी सी ये चाल हैं तेरी.....
.....बस इनही को अपने दिल में सवारता रहूँ मैं......
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...

कितनी खुबसूरत कविता हैं ऊपरवाले की तू......
कितनी मधुर आवाज़ हैं बांसुरीवाले की तू.....
.......बस इन्ही को अपने गीतों में उतारता रहूँ मैं.......
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...

कितनी नफरत भर दी हैं तेरे दिल में सबने....
कितनी चाहत अब भी हैं मेरे सीने में.....
........बस इसी चाहत और नफरत में ख़तम हो रहा हूँ मैं.....
.....शुक्रिया खुदा का.....कि....तू आयी मेरी जिंदगी में.....मेरी जिंदगी में...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें