पैमाना भी खाली...मयखाना भी खाली
खाली हैं....साकी भी खाली....
दीवाना रूठ गया जबसे मोहब्बत से.
तब से हैं सबकुछ खाली.
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अगले पल में जीना
मानो इस पल की मौत
पिछले पल में जीना
मानो हर पल की मौत
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बैचैनी से रिश्ता पुराना हैं
मेरा दिल तो तनहाई का ठिकाना हैं
जोड़ता हूँ किसी तरह दिल के टुकडो को जब भी
टूट कर बिखर जाता हैं यूं जैसे शराबी कोई पुराना हैं
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सघर्ष की जमीं हैं मेरी...
सफलता का आसमान होगा मेरा....
रात कुछ देर ही हैं बस......
मेरी आँखों ने देख लिया हैं आने वाला सवेरा
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ऐ मेरे माही... तू नौका को जल में उतर दे
भंवर से क्या डरता हैं....नौका को रफ्तार दे
वो देख दूर नहीं हैं किनारा......
सहारा क्या खोजता हैं....तू खुद का ही हैं सहारा
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दर्द के दरिया में गोते लगाये हैं
लुफ्त-ऐ-सितम भी क्या खूब खाएं हैं
अश्क भी अब गिरकर सुख गए हैं
कि अजल को बुलाने के लिए हमने ख़त लिखवाए हैं
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हाय बीत गया उम्मीद का मौसम
बुझ गया इंतजार का चिराग
रंग उड़ गया गुल का
जब माँगा तुमने मोहब्बत में हिसाब
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