...कोई बहाना दे मेरे दिल को...प्यार तुजसे न करे कम्बक्त
...जिंदगी कबसे बुला रही हैं मुझको...यह तेरी याद में खोया हैं हर वक़्त...
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....कभी आशिको पर हँसता था, आज उनके संग रोता हूँ...दर्द में कलम डुबो कर, टुटा फुटा लिखता हूँ...तुम हँसते क्यूँ हो...क्या आशिक नहीं लगता हूँ????
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बिलकुल लगते हो बेटा। पक्के आशिक लगते हो हा हा हा आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंआशिक तो लगते हो!! :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है ......... आशिक तो पूरी तरह से लग रहे हैं आप ..........
जवाब देंहटाएंलगते हो भाई पक्के आशिक!! सारे रंग ढंग आ गए आशिकों वाले !! सुन्दर है !! लगे रहो!! !
जवाब देंहटाएंलग रहे हो भाई एकदम आशिक टाइप..हा..हा..
जवाब देंहटाएंकभी आशिको पर हँसता था,
जवाब देंहटाएंआज उनके संग रोता हूँ...
दर्द में कलम डुबो कर,
टुटा फुटा लिखता हूँ...
तुम हँसते क्यूँ हो...
क्या आशिक नहीं लगता हूँ??
गज़ब तो लिखा है .....हंसेगे क्यों .....?
नहीं जनाब.. पक्के आशिक लगते हैं.. आपकी कलम में बहुत दर्द है..
जवाब देंहटाएंबिना इश्क, कलम उठे कैसे ,हर लफ्ज़ आपके आशिक होने का दर्द बयां करता है .......एक सुंदर स्वाल के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअरे..इतनी अच्छी बात कोई आशिक ही कर सकता है.
जवाब देंहटाएंBahut khoob likha hai!
जवाब देंहटाएंBahut khooba----.
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